हमें अपना सर देकर à¤à¥€ उदय की जान बचानी है
चंचल नदियाठसाकी बनकर, à¤à¤°à¤•à¤° लहरों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤• तरह से सबका सà¥à¤µà¤¾à¤—त करती है साकीबाला,
लà¥à¤Ÿà¥‡ ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,
पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, à¤à¤• मां की तरह बिना कà¥à¤› मांगे ही, हमारी सà¤à¥€ जरूरतों को पूरा खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखती है। à¤à¤• तरीके से पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हमारी जीवनदायनी है, जो न सिरà¥à¤« हमें अपने आंचल में समेटकर , हमें à¤à¥‹à¤œà¤¨, पानी , शà¥à¤¦à¥à¤§ हवा, देती है , बलà¥à¤•à¤¿ मà¥à¤«à¥à¤¤ में ढेर सारे संसाधन उपलबà¥à¤§ करवाती है, जिसके इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² से हमारा जीवन बेहद आसान हो जाता है।
अजà¥à¤ž विजà¥à¤ž में है कà¥à¤¯à¤¾ अंतर हो जाने पर मतवाला,
सà¥à¤¨, रूनà¤à¥à¤¨ रूनà¤à¥à¤¨ चल वितरण करती मधॠसाकीबाला,
है समाज †††का Hindi Poetry नियम à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ पिता सदा गमà¥à¤à¥€à¤° रहे, मन में à¤à¤¾à¤µ छà¥à¤ªà¥‡ हो लाखों, आà¤à¤–ो से न कà¤à¥€ नीर बहे!
बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊà¤, वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠहो मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¦à¥¤
मीडिया अफसर नेता मिलकर तब रोटियां खूब पकाते हैं
कर सकती है आज उसी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥à¥¤
किरण किरण में जो छलकाती जाम जà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤ˆ का हाला,
जब धाराà¤à¤ सà¥à¤•à¥œ गई तो उन सब की धरती कबà¥à¤œà¤¾ ली
अंगूरी अवगà¥à¤‚ठन डाले सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ वरà¥à¤£ साकीबाला,