Read Hindi Poems - An Overview

हमें अपना सर देकर भी उदय की जान बचानी है

चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला,

एक तरह से सबका स्वागत करती है साकीबाला,

लुटे ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,

प्रकृति, एक मां की तरह बिना कुछ मांगे ही, हमारी सभी जरूरतों को पूरा ख्याल रखती है। एक तरीके से प्रकृति हमारी जीवनदायनी है, जो न सिर्फ हमें अपने आंचल में समेटकर , हमें भोजन, पानी , शुद्ध हवा, देती है , बल्कि मुफ्त में ढेर सारे संसाधन उपलब्ध करवाती है, जिसके इस्तेमाल से हमारा जीवन बेहद आसान हो जाता है।

अज्ञ विज्ञ में है क्या अंतर हो जाने पर मतवाला,

सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,

है समाज ‍ ‍ ‍ का Hindi Poetry नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे, मन में भाव छुपे हो लाखों, आँखो से न कभी नीर बहे!

बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊँ, वर्षा ऋतु हो मधुशाला।।३०।

मीडिया अफसर नेता मिलकर तब रोटियां खूब पकाते हैं

कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।

किरण किरण में जो छलकाती जाम जुम्हाई का हाला,

जब धाराएँ सुकड़ गई तो उन सब की धरती कब्जा ली

अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला,

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