'राह पकड़ तू à¤à¤• चला चल, पा जाà¤à¤—ा मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤'। ६।
और रसों में सà¥à¤µà¤¾à¤¦ तà¤à¥€ तक, दूर जà¤à¥€ तक है हाला,
वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,
हर मधà¥à¤‹à¤¤à¥ में अमराई में जग उठती है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥ªà¥¤
नदियों के बहाव को रोका और उन पर बाà¤à¤§ बना डाले
हे à¤à¤—वानॠ, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ चनà¥à¤¦à¤¨ जैसे वà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤¸
यदि इन अधरों से दो बातें पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤°à¥€ करती हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधॠके पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की माला'
देव अदेव जिसे ले आà¤, संत महंत मिटा देंगे!
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डंडों की जब मार पड़ेगी, आड़ करेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥à¥¬à¥¤
बजी नफ़ीरी और नमाज़ी à¤à¥‚ल गया अलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾à¤²à¤¾,
सà¥à¤®à¥à¤–ी तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मà¥à¤– ही, मà¥à¤à¤•à¥‹ कनà¥à¤šà¤¨ का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾
कà¤à¥€ न कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾',